Saturday, June 5, 2010

कहाँ से भटक आये कौन डगर भूले

जंगल वन उपवन विहंसते अमलतास 
घर में आँगन में नागफनी फूले


बंद पंखुरियो में सपने सजाये हुए 
मौन अलसाई सी सुरभि में समाये हुए 
प्रेम भरी पाती सा तुमने लुभाया है
जैतूनी अंगराज तुम में समाया है


कैसे वैरागी से अलग थलग दूर खड़े
कहाँ से भटक आये कौन डगर भूले  

जंगल वन उपवन विहंसते अमलतास 
घर में आँगन में नागफनी फूले

अपने इन शरबती फूलो से अमलतास
आँगन में फैली नागफनी से ढँक दो 
इनके कंटीले पथरीले अहं पर 
अपनी सुकोमल सी पंखुरियां रख दो 

हरियाले अंचल को लहराती पवन वधू 
हंस हंस हर पेगो पर गगन छोर छू ले 
जंगल वन उपवन विहंसते अमलतास 
घर में आँगन में नागफनी फूले

 

No comments:

Post a Comment