Saturday, June 19, 2010

शिवानी का अवतार

आरती का दिया बन उजाला करो
रौशनी चूम ले बढ़ तुम्हारे चरण

फूल से शूल से
सारा जीवन भरा
लक्ष्य अपना कभी
बस भुलाना नहीं

तुम प्रगति पंथ की
हो सुनहरी किरण
धुंध से रत से
डर न जाना कहीं

शक्ति हो तुम शिवानी का अवतार हो
है तुम्ही से सजा सृष्टि का यह चमन

त्याग से स्नेह सौहार्द
से सब सहो
बस अनाचार पर
सर ने झुकने लगे

देखते ही रहे तह
धरा यह गगन
मान सम्मान के
फूल झरने लगे

आग अंगार सबको बुझाती हुई
बस प्रगति पंथ का अब करो तुम वरन

आरती का दिया बन उजाला करो
रौशनी चूम ले बढ़ तुम्हारे चरण

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