रौशनी चूम ले बढ़ तुम्हारे चरण
फूल से शूल से
सारा जीवन भरा
लक्ष्य अपना कभी
बस भुलाना नहीं
तुम प्रगति पंथ की
हो सुनहरी किरण
धुंध से रत से
डर न जाना कहीं
शक्ति हो तुम शिवानी का अवतार हो
है तुम्ही से सजा सृष्टि का यह चमन
त्याग से स्नेह सौहार्द
से सब सहो
बस अनाचार पर
सर ने झुकने लगे
देखते ही रहे तह
धरा यह गगन
मान सम्मान के
फूल झरने लगे
आग अंगार सबको बुझाती हुई
बस प्रगति पंथ का अब करो तुम वरन
आरती का दिया बन उजाला करो
रौशनी चूम ले बढ़ तुम्हारे चरण
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