बोल मेरी मछली कितना पानी
लहर लहर के साथ बहे तू
जाल से मोह न छूते तेरा
कूल किनारे छलते जाये
बना बना कर जाल का घेरा
खेल खेल में थाह बता दे चुप रहना तो है नादानी
बोल मेरी मछली कितना पानी
आगे पीछे जल ही जल है
थाह न नापो बढ़ते जाओ
लहरों पर भी बस तुम अपनी
यश की गाथा गढ़ते जाओ
गले गले तक जब आ जाये तब मत पूछो कितना पानी
बोल मेरी मछली कितना पानी
यह तो जल है सीपी घोंघे
शंख सभी का आश्रयदाता
पर सीधे जल में भी बिच्छू
सीधी राह नहीं चल पाता
गहरे पैठो तब समझोगे जल की महिमामयी कहानी
बोल मेरी मछली कितना पानी
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