Friday, May 28, 2010

आचमन सीपियों से

एक मधु स्मृति तुम्हारी 
और कांटे बींधता संपूर्ण जीवन


आ रही ऋतुएं बदल कर 
नित नए परिधान
कभी तरु पर नयी फूटी कोपलें 
चह चाहते पक्षियों के गान


किन्तु मन के किसी कोने में 
ह्रदय करता सीपियों से आचमन  

एक मधु स्मृति तुम्हारी 
और कांटे बींधता संपूर्ण जीवन

तुम न आओगे 
हवाओं ने दिए संकेत
द्वार चौखट बांधते
फिर भी रहे अनिकेत

एक बंधन स्नेह का कैसा हठीला 
छीजता है भीग कर संपूर्ण तन मन 
एक मधु स्मृति तुम्हारी 
और कांटे बींधता संपूर्ण जीवन 

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