धूप छांव सहने दो.
लहरों से किनारों से,
मचलते मझदारो से,
जल की जलाशय की
बात कुछ कहने दो.
नदिया हूँ, बहने दो,
धूप छांव सहने दो.
रुकने का अर्थ नहीं,
बहना भी व्यर्थ नहीं,
जीवन का घात प्रतिघात,
सब सहने दो.
नदिया हूँ, बहने दो,
धूप छांव सहने दो.
कल कल ध्वनि की किलोल,
नाचे अब जग हिलोर,
मन की विहन्गनी को,
गगन छोर छूने दो.
नदिया हूँ, बहने दो,
धूप छांव सहने दो.
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