Monday, August 26, 2019

मांझी न रुको

मांझी न रुको इस उर्मिजाल में,
सुध बुध खोकर रो दोगे |

उच्छ्वास तरंगो में मांझी,
जीवन का ही सम्बल होगा |
निश्वासो के तूफानों में,
जीवन का केवल बल होगा |

मत रुको बढ़ो बढ़ते जाओ,
रुकते ही जीवन खो दोगे |
मांझी न रुको इस उर्मिजाल में,
सुध बुध खोकर रो दोगे |

नयनो से झरते आंसू कण,
मुस्कान स्वयं बन जायेंगे |
मुखरित झंझा के आकुल स्वर,
मधुगान स्वयं बन जाएंगे |

अपना प्रवाह अपनी गति खो,
अपना अपनापन खो दोगे |
मांझी न रुको इस उर्मिजाल में,
सुध बुध खोकर रो दोगे |

 

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