बंद करो मत द्वार मलय का झोंका आने दो
यों तो हर ऋतु को मधुमास नहीं कहते
हर उत्सव के हर पल को उल्हास नहीं कहते
राह वही है राही तो बस चलते हैं
नयनो में सतरंगे सपने पलते हैं
इनके सपनो को कुछ तो शीतल हो जाने दो
बंद करो मत द्वार मलय का झोंका आने दो
बड़ी घुटन होती है बंद झरोखों से
आँखे पनियाती हैं चारो कोनो से
रोम रोम से बस अवसाद झलकता है
मन का कोना कोना खाली लगता है
इस खालीपन को थोड़ा सा भर जाने दो
बंद करो मत द्वार मलय का झोंका आने दो
यों तो हर ऋतु को मधुमास नहीं कहते
हर उत्सव के हर पल को उल्हास नहीं कहते
राह वही है राही तो बस चलते हैं
नयनो में सतरंगे सपने पलते हैं
इनके सपनो को कुछ तो शीतल हो जाने दो
बंद करो मत द्वार मलय का झोंका आने दो
बड़ी घुटन होती है बंद झरोखों से
आँखे पनियाती हैं चारो कोनो से
रोम रोम से बस अवसाद झलकता है
मन का कोना कोना खाली लगता है
इस खालीपन को थोड़ा सा भर जाने दो
बंद करो मत द्वार मलय का झोंका आने दो